Vodafone Idea के शेयरों में सोमवार 6 अक्टूबर को करीब 4 प्रतिशत की तेज गिरावट देखने को मिली है । कंपनी के शेयर BSE पर 8.93 रुपये पर खुले थे लेकिन कारोबार के दौरान इसमें गिरावट आई और यह 8.35 रुपये के स्तर तक पहुंच गए। NSE पर भी शेयर में समान गिरावट देखी गई जहां यह 8.69 रुपये पर कारोबार कर रहा था । यह गिरावट सुप्रीम कोर्ट में एडिशनल एडजस्टेड ग्रॉस रेवन्यू मामले की सुनवाई से पहले आई है।
पिछले एक महीने में वोडाफोन आइडिया के शेयरों में 20 प्रतिशत से अधिक की तेजी देखी गई थी । हालांकि एक साल के आधार पर देखें तो यह स्टॉक अभी भी 10.61 प्रतिशत से अधिक गिरा हुआ है। कंपनी का 52 सप्ताह का उच्चतम स्तर 10.47 रुपये और निम्नतम स्तर 6.12 रुपये रहा है
9450 करोड़ रुपये का AGR विवाद और सुप्रीम कोर्ट मामला
वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमें दूरसंचार विभाग द्वारा लगाई गई 9450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त AGR मांग को रद्द करने की मांग की गई है । कंपनी का तर्क है कि यह अतिरिक्त AGR देनदारी सुप्रीम कोर्ट के 2020 के फैसले के दायरे से बाहर है। इस मामले की सुनवाई पहले 6 अक्टूबर को होनी थी लेकिन अब इसे 13 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है ।scanx+3
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की ओर से अधिक समय की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार व्यापक सार्वजनिक हित को देखते हुए कंपनी में 49 प्रतिशत इक्विटी डाली है और इस मामले के समाधान की आवश्यकता है । इस पर वोडाफोन आइडिया की कानूनी टीम ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी।
AGR मांग का विवरण
दूरसंचार विभाग द्वारा लगाई गई 9450 करोड़ रुपये की AGR मांग में से 5675 करोड़ रुपये विलय से पहले के वोडाफोन ग्रुप के बकाया से संबंधित हैं जबकि 2774 करोड़ रुपये विलय के बाद वोडाफोन आइडिया के बकाया से जुड़े हैं । कंपनी का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 से संबंधित AGR का एक बड़ा हिस्सा पहले ही 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत निपटाया जा चुका है
वोडाफोन आइडिया ने अपनी याचिका में यह भी उजागर किया है कि दूरसंचार विभाग ने हाल ही में आइडिया सेल्युलर और वोडाफोन आइडिया के लाइसेंस फीस दायित्वों को संशोधित किया है। कंपनी का मानना है कि ये संशोधित बकाया गलत तरीके से गणना किए गए हैं और कुछ राशियों को दो बार शामिल किया गया है
सरकारी हिस्सेदारी और कंपनी की वित्तीय स्थिति
सरकार ने मार्च 2025 में वोडाफोन आइडिया के 36950 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम बकाया को इक्विटी में बदल दिया था । इससे सरकार की कंपनी में हिस्सेदारी 22.6 प्रतिशत से बढ़कर 48.99 प्रतिशत हो गई है। वर्तमान में सरकार कंपनी की सबसे बड़ी व्यक्तिगत शेयरधारक है हालांकि उसे प्रमोटर का दर्जा नहीं दिया गया है
दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया है कि सरकार का हिस्सा 49 प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ेगा क्योंकि इससे वोडाफोन आइडिया एक सार्वजनिक उपक्रम बन जाएगी । सरकार का कोई इरादा नहीं है कि वोडाफोन आइडिया को PSU बनाया जाए
कंपनी के व्यावसायिक परिणाम
वोडाफोन आइडिया ने Q1 FY26 में 110.2 बिलियन रुपये का रेवन्यू दर्ज किया जो साल दर साल 4.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है । कंपनी का EBITDA 46.1 बिलियन रुपये रहा जबकि Ind AS 116 प्रभाव को छोड़कर कैश EBITDA 21.8 बिलियन रुपये था जो 3.7 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दिखाता है
30 जून 2025 तक कंपनी का कुल ग्राहक आधार 197.7 मिलियन है । यह पिछली वित्तीय वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही की तुलना में 90 प्रतिशत कम ग्राहक नुकसान को दर्शाता है जो विलय के बाद से सबसे कम गिरावट है। कंपनी की 5G सेवाएं अब 13 सर्कलों के 22 शहरों में चालू हैं।
सरकार की चार साल की AGR भुगतान मोरेटोरियम 31 मार्च 2026 को समाप्त होने के बाद वोडाफोन आइडिया को AGR बकाया के लिए 16428 करोड़ रुपये की किस्तों का भुगतान करना होगा । इसके साथ ही जून 2026 तक स्पेक्ट्रम किस्तों के लिए 2641 करोड़ रुपये का भुगतान भी करना होगा।
कुल मिलाकर AGR बकाया, स्थगित स्पेक्ट्रम भुगतान, ब्याज और दंड सहित कुल बकाया देनदारियां वित्तीय वर्ष 2034 तक लगभग 2 ट्रिलियन रुपये होने का अनुमान है । कंपनी ने अपनी याचिका में कहा है कि AGR मांग के कारण पैदा हुई भारी देनदारी कंपनी के अस्तित्व और हजारों कर्मचारियों की आजीविका को खतरे में डालती है
वोडाफोन आइडिया ने तेजस मेहता को नया मुख्य वित्तीय अधिकारी नियुक्त किया है जिनका कार्यकाल 6 अक्टूबर से शुरू हुआ है । कंपनी के CEO अक्षय मूंद्रा ने बताया कि यह एक निर्णायक टर्नअराउंड तिमाही रही है। पिछली तीन तिमाहियों में 4G कवरेज विस्तार के लिए किए गए निवेश अब परिणाम दिखाने लगे हैं।
कंपनी ने 500-550 बिलियन रुपये की व्यापक कैपेक्स योजनाओं का समर्थन करने के लिए ऋणदाताओं के साथ ऋण वित्तपोषण सुरक्षित करने के लिए चर्चा जारी रखी है । अक्टूबर 2024 और जून 2025 के बीच कंपनी ने लगभग 9800 करोड़ रुपये कैपेक्स पर खर्च किए और 4800 से अधिक नए 4G टावर जोड़े
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