Vodafone idea को लेकर टेलीकॉम सेक्टर के सबसे बड़े विवादों में से एक AGR बकाया मामला है। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में विभाग की ओर से मांगे गए अतिरिक्त ₹9,450 करोड़ के AGR बकाया को लेकर याचिका दायर की है। 19 सितंबर 2025 को इस मामले पर सुनवाई होनी है, जिससे निवेशकों और कंपनी के भविष्य पर बड़ा असर पड़ सकता है।
क्या है AGR विवाद और Vodafone idea की दलीलें?
AGR यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू वो रकम है, जिस पर दूरसंचार कंपनियों को सरकार को लाइसेंस फीस और अन्य शुल्क देने होते हैं। वोडाफोन आइडिया का कहना है कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम की ओर से मांगे गए अतिरिक्त 9,450 करोड़ रुपये, पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दायरे से बाहर हैं। कंपनी ने यह भी कहा है कि इस गणना में कई आंकड़े डुप्लीकेट हो गए हैं और 2017 से पहले के बकाया की दोबारा जांच ज़रूरी है।
मामला सुप्रीम कोर्ट में क्यों पहुंचा
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) का कहना है कि यह रकम पुराने अकाउंट्स के फाइनल होने के बाद मिले गेप्स के कारण है, न कि री-असेसमेंट या फिर से गणना। यानि इसमें कोई दोबारा कैलकुलेशन या पुराने बकाया का री-अडिट नहीं है, बल्कि लंबे समय के बाद वित्तीय लेखा-जोखा पूरा होने पर यह अमाउंट निकली है। वोडाफोन आइडिया ने मांग की जांच और रिकॉन्सिलिएशन की बात की है।
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भुगतान की स्थिति और कंपनी का कुल बकाया
Vodafone idea का कुल AGR बकाया अब करीब ₹83,400 करोड़ है, जिस पर मार्च 2026 से सालाना किश्तें देनी शुरू होंगी।Vodafone idea का कुल सरकारी बकाया (पेनल्टी और ब्याज सहित) लगभग ₹2 लाख करोड़ के करीब बताया जाता है। कंपनी ने कोर्ट से मांग की है कि मांग की गई अतिरिक्त राशि को खारिज किया जाए और पुराने सभी बकाया की दोबारा जाँच हो।
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Vodafone idea शेयर की चाल
इस खबर के चलते शेयरों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। 15 सितंबर को वोडाफोन आइडिया के शेयरों में 7% तक की तेजी दर्ज की गई, और एक महीने में करीब 20% तक की बढ़त आई। 18 सितंबर 2025 को शेयर का भाव 7.87 रुपये रहा, जबकि एक सप्ताह में 6%, तीन महीने में करीब 20% और छह महीने में 10% से ज्यादा की वृद्धि शेयर ने दिखाई। हालांकि, कंपनी अभी लगातार घाटे में है और फाइनेंशियल ईयर 2024-25 की चौथी तिमाही में ₹6,608 करोड़ का नुकसान हुआ है।
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