Vodafone Idea यानी Vi टेलीकॉम सेक्टर की एक महत्वपूर्ण कंपनी है, जो पिछले कुछ सालों से लगातार आर्थिक दबाव में है। कंपनी पर एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) को लेकर पुराना बकाया काफी बढ़ गया है। इसी मुद्दे के समाधान के लिए हाल ही में कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल की है, जिसमें ब्याज और पेनल्टी माफ करने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका
Vi ने अदालत में कहा है कि साल 2017 से पहले का जो भारी AGR बकाया है, उसमें ब्याज और दंड की रकम सरकार माफ करे। कंपनी ने उदाहरण के तौर पर एक पुराने मामले का उल्लेख किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बकाया राशि पर ब्याज और पेनल्टी को माफ कर दिया था। इस पर सरकार ने भी कोर्ट से कहा है कि मामले की सुनवाई जल्दी की जाए। अब अगली सुनवाई 6 अक्टूबर 2025 को रखी गई है।
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सरकार और टेलीकॉम विभाग का नजरिया
सरकार ने अपनी तरफ से बताया कि इस विषय का हल सार्वजनिक हित में जरूरी है और इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का इंतज़ार है। साथ ही, सरकार अब तक करीब 49% हिस्सेदारी कंपनी में ले चुकी है, लेकिन कंपनी का संकट अभी दूर नहीं हुआ है। सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का दिशा-निर्देश मिलने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
कंपनी के ताजा आंकड़े
Vi की मौजूदा हालत देखें तो 1 अक्टूबर 2025 को शेयर का भाव करीब ₹8.34 है। बीते छह महीनों में कंपनी का शेयर लगभग 21% ऊपर गया है, हालांकि एक हफ्ते में थोड़ी कमजोरी भी आई है। कंपनी का बाजार पूंजीकरण अभी करीब ₹88,624.60 करोड़ है, लेकिन पिछले तिमाही में शुद्ध घाटा 6,608 करोड़ रुपए रहा। ARPU में हल्की बढ़त है लेकिन कुल मिलाकर कंपनी को मुनाफा नहीं हो रहा। कर्ज और देनदारियां 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हैं, जिससे कंपनी भारी संकट में दिखती है।
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AGR बकाया की समस्या क्यों है गंभीर
Vodafone Idea के लिए AGR मामले में बकाया सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। कंपनी का दावा है कि बकाया की गणना में गलती हुई है और बार-बार रकम को लेकर विभाग से असहमति बनी हुई है। कंपनी का तर्क है कि ब्याज और पेनल्टी माफ होने पर वित्तीय दबाव घटेगा, और व्यवसाय को स्थिर करने में मदद मिलेगी। अगर राहत मिलती है तो इससे शेयर पर भी सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। इस फैसले का सीधा असर पूरे टेलीकॉम सेक्टर पर भी पड़ सकता है।
निवेशकों और बाजार में उथल-पुथल
जैसे ही यह खबर सामने आई कि Vi ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है, शेयर बाजार में तेजी दर्ज की गई। निवेशकों को उम्मीद है कि अगर कोर्ट कोई राहत देती है तो कंपनी को बड़ी मदद मिलेगी। एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि अगर यह केस Vi के पक्ष में गया तो टेलीकॉम क्षेत्र में निवेश का माहौल सुधर सकता है। लेकिन इसका अंतिम फैसला कोर्ट के निर्णय के बाद ही साफ हो पाएगा।
भविष्य की राह और नजरें सुप्रीम कोर्ट पर
अब सभी की नजरें 6 अक्टूबर 2025 की सुनवाई पर टिकी हैं, क्योंकि इसी दिन तय हो जाएगा कि कंपनी को ब्याज और पेनल्टी में कोई राहत मिलती है या नहीं। अगर राहत मिलती है तो Vi के सामने पुनर्जीवन की संभावना बनेगी, अन्यथा कंपनी के लिए चुनौती और भी बढ़ सकती है। अंततः यह मामला न सिर्फ वोडाफोन आइडिया बल्कि पूरे भारतीय टेलीकॉम सेक्टर के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
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