Green Hydrogen एनर्जी सेक्टर भारत में तेजी से आगे बढ़ रहा है और 2030 तक इसका बाज़ार लगभग 2.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। सरकार ने “नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन” शुरू किया है, जिसका लक्ष्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात का ग्लोबल हब बनाना है। इस मिशन के तहत 2030 तक कम-से-कम 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी और लगभग 125 GW रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी जाएगी।
Green Hydrogen
Green Hydrogen पारंपरिक फॉसिल फ्यूल की तुलना में वातावरण के लिए सुरक्षित है क्योंकि इसे रिन्यूएबल एनर्जी (जैसे सोलर या विंड एनर्जी) के माध्यम से उत्पन्न किया जाता है। इसकी वजह से भारी इंडस्ट्री, ट्रांसपोर्ट, शिपिंग जैसे क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज किया जा सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या से लड़ने में मदद मिलती है। नैशनल मिशन के तहत 8 लाख करोड़ तक निवेश और 6 लाख नौकरियां बनने का अनुमान है। अनुमान है कि 2030 तक भारत वैश्विक डिमांड का 10% तक साझा करेगा।
सरकारी समर्थन
सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन के लिए 19,744 करोड़ रुपये का बजट तय किया है, जिसमें उत्पादन से लेकर इंडस्ट्री में मांग पैदा करने, इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण और R&D के लिए सपोर्ट मिलता है। सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव्स (PLI), कर राहत और नीतिगत समर्थन दिए हैं ताकि इंडियन कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश करें।
RIL
RIL ने गुजरात के जामनगर में ग्रीन एनर्जी गैगा कॉम्प्लेक्स बनाया है, जिसमें वे ग्रीन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन के लिए सोलर, बैटरी और इलेक्ट्रोलाइजर इंटीग्रेटेड सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं। कंपनी का लक्ष्य है ग्रीन हाइड्रोजन को 2030 तक $1/kg की लागत पर उत्पादित करना।
L&T
L&T ने राष्ट्रीय और वैश्विक पार्टनर्स के साथ इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण समेत कई हाइड्रोजन EPC प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। कंपनी देश के अलग-अलग राज्यों में हाइड्रोजन प्लांट लगाने पर फोकस कर रही है।
अदानी एंटरप्राइजेज और अदानी ग्रीन एनर्जी
अदानी ग्रुप ने Adani New Industries के जरिए 2030 तक 1 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा है और 50 अरब डॉलर निवेश का प्लान है। उन्होंने टेक्नोलॉजी के लिए फ्रांस के टोटल एनर्जीज़ से साझेदारी की है।
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इंडियन ऑयल, NTPC, BPCL, ONGC
IOC, NTPC, BPCL और ONGC जैसी सरकारी कंपनियां ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट लॉन्च कर चुकी हैं; जैसे पानीपत रिफाइनरी (IOC), Leh में NTPC का प्रोजेक्ट, BPCL की बीना रिफाइनरी। ये कंपनियां अपने कुल हाइड्रोजन उपभोग में 50% तक ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग का लक्ष्य रखती हैं।
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फ्यचर प्रोजेक्शन
2030 तक भारत का ग्रीन हाइड्रोजन मार्केट 34 अरब डॉलर (लगभग ₹2.8 लाख करोड़) तक पहुंच सकता है, जिसमें 20% से ज्यादा सालाना ग्रोथ का अनुमान है। हालांकि, उत्पादन लागत, इन्फ्रास्ट्रक्चर, और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन बड़े चैलेंज हैं। इसके बावजूद सरकारी योजना, निवेश और ग्लोबल पार्टनरशिप की वजह से सेक्टर में तेज विकास देखने को मिलेगा।
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