1 साल में 1354% रिटर्न देने वाली Defence कंपनी ने गुजरात से किया ₹4250 करोड़ का डील! अप्पर सर्किट में शेयर, प्रमोटर होल्डिंग 94.91%

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भारत की Defence कंपनी Swan Defence & Heavy Industries Ltd(SDHI) एक अग्रणी शिपबिल्डिंग और डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी है। यह कंपनी जहाज निर्माण, रिपेयर और रिफिटिंग में माहिर है। इसके अलावा कंपनी इंडियन नेवी और अन्य सरकारी एजेंसियों के लिए कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में काम करती है।

हाल ही में कंपनी ने गुजरात मैरीटाइम बोर्ड के साथ 4250 करोड़ रुपये का मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) साइन किया है, जिससे गुजरात के पीपावाव पोर्ट के शिपयार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किया जाएगा। इस MoU के तहत शिपयार्ड की क्षमता और सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी, जिसमें नए स्लिपवे, जेट्टी, अतिरिक्त क्रेन और ट्रेनिंग के लिए एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना शामिल है

SDHI Share की ताजा स्थिति और रिटर्न

22 सितंबर 2025 को Swan Defence के शेयर में अपर सर्किट लग गया और इसका भाव 606.15 रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। Swan Defence का मार्केट कैप 3193 करोड़ रुपये पहुंच चुका है। बीते एक साल में इस स्टॉक ने अप्रत्याशित 1354% का रिटर्न दिया है। तीन महीने में यह 192% और पिछले 6 महीने में लगभग 569% चढ़ा है। कंपनी का 52 वीक लो सिर्फ 37.80 रुपये था, जबकि अब यह 577 रुपये तक पहुंच गया है।

ताजा निवेश और पब्लिक इंटरेस्ट

गुजरात मैरीटाइम बोर्ड के साथ हुए समझौते के बाद कंपनी को 4250 करोड़ रुपये का नया निवेश मिलेगा। इसमें से 3500 करोड़ रुपये पीपावाव शिपयार्ड की क्षमता बढ़ाने के लिए और 200 करोड़ रुपये एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने में खर्च होंगे। इस सेंटर में हर साल 1000 से ज्यादा युवाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे भारतीय मैरीटाइम टेक्नोलॉजी का विकास होगा और इस सेक्टर की प्रतिभा बढ़ेगी।

Swan Defence शेयरहोल्डिंग पैटर्न

जून 2025 की तिमाही में कंपनी में प्रमोटर की हिस्सेदारी 94.91% थी, पब्लिक या रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी करीब 4.66% है। विदेशी और घरेलू संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी बहुत कम यानी 0.02% (FII) और 0.4% (DII) है। इसका मतलब है कि कंपनी मजबूत प्रमोटर बेस के साथ ग्रोथ कर रही है

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कंपनी की वित्तीय स्थिति

कंपनी का मार्केट कैप 3193 करोड़ रुपये है। 2024-25 (31 अगस्त 2025 तक) कंपनी की कुल आय 7.45 करोड़ रुपये रही, हालांकि कंपनी नुकसान दिखा रही है (-161 करोड़ रुपये)। इसकी वजह कई बार डिफेंस या शिपबिल्डिंग कंपनियों में उच्च निवेश और प्रोजेक्ट साइकल की लंबाई हो सकती है

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भविष्य की योजनाएं

कंपनी अगले कुछ सालों में अपने शिपयार्ड की क्षमता और टेक्नोलॉजी को बड़े पैमाने पर बढ़ाने वाली है। इसके साथ ही वेसल डिजाइन, रिफिटिंग, और ट्रेनिंग फैसिलिटी में निवेश किया जाएगा, ताकि घरेलू और विदेशी ग्राहकों की मांग को पूरा किया जा सके। कंपनी का फोकस भारत के डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता और इनोवेशन पर है, जिससे लंबी अवधि में ग्रोथ की संभावना बनी रहेगी

(यह लेख केवल जानकारी के लिए है, निवेश के लिए एक्सपर्ट की राय जरूर लें।)

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